भारत ने पिछले एक दशक में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को फिर से पाने में बड़ी सफलता हासिल की है. संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि 2014 के बाद से अब तक अलग-अलग देशों से 642 प्राचीन कलाकृतियां भारत लाई गई हैं. 72 अन्य कलाकृतियों को वापस लाने की प्रक्रिया जारी है. 1970 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि होने के बावजूद 1955 से 2014 तक भारत को मात्र 13 कलाकृतियां ही वापस मिल पाई थीं. मगर, प्रधानमंत्री मोदी के विरासत पर गौरव संकल्प पर जोर देने के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आई है.
शेखावत ने बताया कि अमेरिका समेत कई देशों के साथ सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी के लिए समझौते किए गए हैं. बेल्जियम, फ्रांस और सिंगापुर से 72 और कलाकृतियों को वापस लाने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक संपत्ति को फिर से पाने की एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कलाकृतियों के स्रोत और उनके ऐतिहासिक महत्व को साबित करने में समय लगता है.
297 कलाकृतियों पर किसी ने दावा नहीं किया
मंत्री ने बताया कि अब तक भारत लाई गई 297 कलाकृतियों पर किसी भी राज्य या संग्रहालय ने दावा नहीं किया है. इन अमूल्य धरोहरों को संरक्षित करने के लिए दिल्ली में एक विशेष संग्रहालय बनाया गया है. इसके अलावा संसद में भी 11 ऐतिहासिक प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है. उन्होंने बताया कि कलाकृतियों को यहां लाने के बाद भी उनके संबंध में कई औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं.
पर्यटन उद्योग पर क्या बोले मंत्री
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पर्यटन उद्योग पर बोलते हुए कहा था कि आने वाले सालों में यह क्षेत्र देश की जीडीपी की वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान दे सकता है. पर्यटन क्षेत्र देश का विकास इंजन है. देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. शेखावत ने ये बात फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित पर्यटन सतत शिखर सम्मेलन-2025 में कही थी.
मंत्री ने इस दौरान जलवायु परिवर्तन और चुनौतियों का भी जिक्र किया था. उन्होंने कहा, हमारा पर्यटन क्षेत्र गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. इस पर उद्योग जगत को विचार करने की जरूरत है. अगर हम अपने विकास के लक्ष्य तय करें और उसी के हिसाब से काम करें तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं.